tag:blogger.com,1999:blog-66658393535642491782024-02-18T23:44:22.123-08:00मेरा भारत महानजी हाँ , मैं बताऊंगी कैसे और क्यों?malahttp://www.blogger.com/profile/09493715792470271562noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-6665839353564249178.post-27734941291680617032009-02-17T23:46:00.000-08:002009-12-29T02:30:40.652-08:00जिसके स्वर्णिम इतिहास और समृद्ध वर्तमान की कायल है, समूची दुनिया।<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhcpZnOptMmp5HwEj5DmGRMaZxi0r78aDEpR47cji6hYUWFjDkGP7Fk_i-aGYaPX_r0FiuJMfkorkqylcMq16mHjcHEX15J56Eo51-BHTEcBThrzCPxii_jScPUCOCWA8i9QaOpSXVeFbC1/s1600-h/howra+bridge.jpg"><strong><span style="color:#cc0000;"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5304040735030029618" style="FLOAT: left; MARGIN: 0px 10px 10px 0px; WIDTH: 180px; CURSOR: hand; HEIGHT: 120px" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhcpZnOptMmp5HwEj5DmGRMaZxi0r78aDEpR47cji6hYUWFjDkGP7Fk_i-aGYaPX_r0FiuJMfkorkqylcMq16mHjcHEX15J56Eo51-BHTEcBThrzCPxii_jScPUCOCWA8i9QaOpSXVeFbC1/s320/howra+bridge.jpg" border="0" /></span></strong></a><strong><span style="color:#cc0000;"> पिछले पोस्ट में मैंने कोलकाता की समृद्धि , संस्कृति और संस्कार से जुडी कुछ अद्भुत बातों का उल्लेख किया था , आईये अब उससे आगे बढ़ते हैं और बताते हैं आपको कोलकाता से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण पहलू -</span><br /></strong><div><strong>आधिकारिक रूप से इस शहर का नाम कोलकाता १ जनवरी, २००१ को रखा गया। इसका पूर्व नाम अंग्रेजी में भले ही "कैलकटा' हो लेकिन बंगाल और बांग्ला में इसे हमेशा से कोलकाता या कोलिकाता के नाम से ही जाना जाता रहा है जबकि हिन्दी भाषी समुदाय में ये कलकत्ता के नाम से जाना जाता रहा है। </strong></div><div><strong>सम्राट अकबर के चुंगी दस्तावेजों और पंद्रहवी सदी के बांग्ला कवि विप्रदास की कविताओं में इस नाम का बार बार उल्लेख मिलता है। लेकिन फिर भी नाम की उत्पत्ति के बारे में कई तरह की कहानियाँ मशहूर हैं। सबसे लोकप्रिय कहानी के अनुसार हिंदुओं की देवी काली के नाम से इस शहर के नाम की उत्पत्ति हुई है। इस शहर के अस्तित्व का उल्लेख व्यापारिक बंदरगाह के रूप में चीन के प्राचीन यात्रियों के यात्रा वृतांत और फारसी व्यापारियों के दस्तावेजों में भी उल्लेख है। महाभारत में भी बंगाल के कुछ राजाओं का नाम है जो कौरव सेना की तरफ से युद्ध में शामिल हुये थे।<br />नाम की कहानी और विवाद चाहे जो भी हों इतना तो अवश्य तय है कि यह आधुनिक भारत के शहर में सबसे पहले बसने वाले शहरों में से एक है। </strong></div><div><strong>यह वही भूमि है -</strong></div><div><strong><span class="">जहां</span> विश्व कवि रवीन्द्रनाथ टैगोर की गीतांजलि गूंजी थी, राजाराममोहन राय, विद्यासागर, रामकृष्ण परमहंस तथा विवेकानन्द का व्यापक चिन्तन सरोकार प्रस्फुटित हुआ था। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस और मौलाना अबुल कलाम आजाद ने स्वतन्त्रता का सशक्त शंखनाथ किया, वहीं सत्यजीत राय ने अपनी उत्कृष्ट रचनाओं के माध्यम से सिनेमा जगत में क्रान्ति ला दी। सादगी और मानवीयता को कर्म-कर्तव्य को ढाल बनाकर देवत्व को प्राप्त करने वाली महान महिला ‘मदर टेरेसा’ की सेवास्थली के रूप में जहां आपका नगर विश्व-विख्यात है, वहीं नोबेल पुरस्कार से सम्मानित भारत के मात्र दो विभूतियों रवीन्द्रनाथ टैगोर और अमत्र्य सेन को जन्म देकर यह पवित्र मिट्टी विश्वपटल पर गौरवान्वित हुई है।</strong></div><div><strong><span style="color:#3366ff;">सचमुच कोलकाता भारत की शान है , </span></strong></div><div><strong><span style="color:#3366ff;"><span class="">और</span> - इसे देखकर होठों से फूट पड़ते हैं ये शब्द -</span></strong></div><div><strong><span style="color:#3366ff;">कि मेरा भारत महान है ......!</span></strong> </div>malahttp://www.blogger.com/profile/09493715792470271562noreply@blogger.com11tag:blogger.com,1999:blog-6665839353564249178.post-39502052280568046982009-02-13T00:39:00.000-08:002009-12-29T02:32:22.445-08:00एक ऐसा शहर जो संगठन की शक्ति को प्रमाणित करता है ....<strong>आईये अब रांची के बाद एक ऐसे शहर की ओर प्रस्थान करते हैं जिसके बारे में कहा जाता है ,कि यह शहर कर्म - कर्तव्य की सीख देता है । </strong><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhyztiKwt_-iy_oS02ICd9Ktp7NYjuuv4DIY7r9Cow88tgmyPXRLZh2vOGjpZxqvsSZMZmEVMHSZRed5x_DT7ArD9kfRILm6WzJ0TA95mjZhUfwCIuwqA9uXI8XDphdDEno4qQOpe9SK00u/s1600-h/kaali+mandir+kolkaataa.jpg"><strong><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5302199378263732850" style="FLOAT: left; MARGIN: 0px 10px 10px 0px; WIDTH: 180px; CURSOR: hand; HEIGHT: 135px" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhyztiKwt_-iy_oS02ICd9Ktp7NYjuuv4DIY7r9Cow88tgmyPXRLZh2vOGjpZxqvsSZMZmEVMHSZRed5x_DT7ArD9kfRILm6WzJ0TA95mjZhUfwCIuwqA9uXI8XDphdDEno4qQOpe9SK00u/s320/kaali+mandir+kolkaataa.jpg" border="0" /></strong></a><strong> एक ऐसा शहर, जो अपनी दिनचर्या की शुरूआत के साथ बोध कराता है समूह की महत्वाकांक्षा का, लक्ष्य प्राप्ति के प्रति आशान्वित प्रयास का, कार्य के प्रति कटिबद्धता का और तारतम्यता के साथ निरन्तर प्रगतिशील रहने की परम्परा का।कोलकाता का शाब्दिक भाव -</strong><br /><span style="color:#cc0000;"><strong>को - कोरस यानी समूह </strong><br /><strong>ल - लक्ष्य </strong><br /><strong>का - कार्य और </strong><br /></span><strong><span style="color:#cc0000;">ता - तारतम्य<br /></span>एक ऐसा प्राचीन शहर, जिसका नाम उसकी गौरवशाली सांस्कृतिक विरासत और मानवीय दृष्टिकोण को प्रतिविम्बित करता है। विश्व के महान नगरों में से एक, जहां गंगा अपनी समस्त सहायक नदियों के साथ सामूहिकता का बोध कराती हुई एक निश्चित परिणाम को प्राप्त करती है। अत्यन्त प्राचीन और समृद्ध परम्परा को अपने अन्तर में सजोये यह महानगर जहां एक ओर अपनी संस्कृति, बंगला भाषा, कला-प्रेम, दूरदर्शिता एवं कार्यो के प्रति कटिबद्धता के लिये प्रसिद्ध है, वहीं सामूहिक श्रमशक्ति को प्रमुखता के साथ प्रतिष्ठापित करते हुये निरन्तर प्रगति-पथ पर गुणवत्ता के साथ क्रियाशील है।</strong><br /><span class=""><div><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgSVtlMEUUpEv9acNyt2picFzdNMxHDIuUPWPqmy3Yz_rscjNgX9BcvMGSIuZQ0cmmmM-PNZk5AJuqv-c5i84BCK4OsaJ9M498XmuVeu0OQzeczRLV5CqjNuh2oP5K5kmpFXFKtlK2-0J39/s1600-h/kolkaataa-2.png"><strong><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5302199158325653858" style="FLOAT: left; MARGIN: 0px 10px 10px 0px; WIDTH: 250px; CURSOR: hand; HEIGHT: 249px" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgSVtlMEUUpEv9acNyt2picFzdNMxHDIuUPWPqmy3Yz_rscjNgX9BcvMGSIuZQ0cmmmM-PNZk5AJuqv-c5i84BCK4OsaJ9M498XmuVeu0OQzeczRLV5CqjNuh2oP5K5kmpFXFKtlK2-0J39/s320/kolkaataa-2.png" border="0" /></strong></a></div><strong>कोलकाता</strong></span><strong> वासी पूजते हैं - काली के रूप में शक्ति को, महत्व देते हैं संगठन को और मिष्ठान को संस्कृति का अहम् हिस्सा के रूप में स्वीकार करते हुये प्रतिविम्बित करते हैं वाणी की मधुरता को।</strong><br /><strong>एक बार गोपाल कृष्ण गोखले ने कहा था कि - ‘‘जो आज बंगाल सोचता है, वह कल भारत सोचेगा।’’<br /></strong><br /><strong>.........शेष अगले पोस्ट में<br /></strong><br /><div><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgSVtlMEUUpEv9acNyt2picFzdNMxHDIuUPWPqmy3Yz_rscjNgX9BcvMGSIuZQ0cmmmM-PNZk5AJuqv-c5i84BCK4OsaJ9M498XmuVeu0OQzeczRLV5CqjNuh2oP5K5kmpFXFKtlK2-0J39/s1600-h/kolkaataa-2.png"></a></div>malahttp://www.blogger.com/profile/09493715792470271562noreply@blogger.com6tag:blogger.com,1999:blog-6665839353564249178.post-21659294025715158612009-01-23T03:13:00.000-08:002009-01-23T03:40:59.860-08:00एक ऐसा शहर जो साक्षी है संस्कृति विकास के समस्त चरणों का ....!<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjEGlxBaAgypDMlN1UgLFPFplqs7g2JDW49eLCoHz6FgRJqMqDm-S4pvJ8WvaeZ6oS0OwsL4FLKbDDcrQy42UPgdvcymE2xR3GW6GHQHewTVW7wzNL_HWBvUvuEUw0Whu54BggUWCJ19QcE/s1600-h/ranchi-1.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5294446057252505362" style="FLOAT: left; MARGIN: 0px 10px 10px 0px; WIDTH: 250px; CURSOR: hand; HEIGHT: 188px" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjEGlxBaAgypDMlN1UgLFPFplqs7g2JDW49eLCoHz6FgRJqMqDm-S4pvJ8WvaeZ6oS0OwsL4FLKbDDcrQy42UPgdvcymE2xR3GW6GHQHewTVW7wzNL_HWBvUvuEUw0Whu54BggUWCJ19QcE/s320/ranchi-1.jpg" border="0" /></a><br /><div><strong> आईये पटना के बाद चलते हैं एक ऐसे शहर में , जो एक लाख वर्ष ईसा पूर्व आदि पाषाण काल से आधुनिक काल तक के अनेक पुरातात्विक अवशेष को अपने भीतर समेटे हुए साक्षी है संस्कृति विकास के विभिन्न चरणों का , गवाह है भगवान विरसा मुंडा के क्रांतिकारी पुरुषार्थ का । यह वही भूमि है , जहाँ टैगोर हिल पर बैठकर विश्व कवि रविन्द्र नाथ टैगोर ने गाये प्रकृति के गीत और इसी भूमि पर जन्में अलबर्ट एक्का ने अपने प्राणों की आहूति देकर पाकिस्तान को भारतीय सैन्य शक्ति का एहसास कराया , जिसके नाम पर यहाँ के महत्वपूर्ण चौक का नामाकरण हुआ , जो उपरोक्त चित्र में दृष्टिगोचर है । </strong></div><div><span class=""><strong> </strong><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgxVFtoory05qIwKZIP2r13s7x87XxDly3yKub9YKlgJN3R0Z7IsLNRY1tVJZjL2y7IZ9VAodkBKV1ufR3wDCtFjqHxHFBXJKL_HYBks9oTx37KTZRG1gEE0_vMGx68X8b-ooD87PcT9zA1/s1600-h/hundroo.jpg"><strong><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5294445932373860018" style="FLOAT: left; MARGIN: 0px 10px 10px 0px; WIDTH: 300px; CURSOR: hand; HEIGHT: 194px" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgxVFtoory05qIwKZIP2r13s7x87XxDly3yKub9YKlgJN3R0Z7IsLNRY1tVJZjL2y7IZ9VAodkBKV1ufR3wDCtFjqHxHFBXJKL_HYBks9oTx37KTZRG1gEE0_vMGx68X8b-ooD87PcT9zA1/s320/hundroo.jpg" border="0" /></strong></a><strong> इसी</strong></span><strong> पवित्र भूमि पर बैठकर जमशेद जी टाटा ने टाटानगर की परिकल्पना करते हुए दिया था भारत की आर्थिक समृद्धि को एक नया आयाम । </strong></div><div><strong> राँची भारत का एक प्रमुख शहर है और यह झारखंड प्रदेश की राजधानी है। पहले जब यह बिहार राज्य का हिस्सा था तब गरमियों में अपने अपेक्षाकत ठंडे मौसम के कारण प्रदेश की राजधानी हुआ करती थी। झारखंड आंदोलन के दौरान राँची इसका केन्द्र हुआ करता था। राँची एक प्रमुख औद्योगिक केन्द्र भी है। जहाँ मुख्य रुप से एच ई सी (हेवी इंजिनियरिंग कारपोरेशन), स्टील अथारटी आफ इंडिया, मेकन इत्यादि के कारखाने हैं । </strong></div><div><strong> यह सदैव जम्मू की तरह ही अपनी भौगोलिक सुन्दरता से लुहाता रहा है । प्राकृतिक सुन्दरता का अनुपम उपहार हूंडरू का जल प्रपात भी यहीं है, जिसकी तस्वीर ऊपर में आप देख सकते हैं । मुझे तो यहाँ स्वर्ग का आभास होता है । यह शहर हमारी भौगोलिक सुन्दरता और भूगर्भिक समृद्धि का जीवंत प्रमाण है , यहाँ एक बार आईये आप ख़ुद कहेंगे - मेरा भारत महान है ....!</strong></div>malahttp://www.blogger.com/profile/09493715792470271562noreply@blogger.com11tag:blogger.com,1999:blog-6665839353564249178.post-33187060464517623892009-01-19T02:13:00.000-08:002009-12-29T02:40:34.426-08:00पराक्रम, प्रमाणिकता और नातेदारी से मिलकर बना है पटना<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjZdYgfeVs-R5iuo7dhyphenhyphenmLnC3RQ7UtvwRdJnqKholNPfVFLwYXYhyJFRNoxtsLrXyBim52_Vx2IBQ2ljnl_ciKRgH_OaHCfJb8HJo23M8w1vMJSn5wAuehFH3rq6aobrFkHBDkp0_R1mFCB/s1600-h/patna+jn..jpg"><strong><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5292947200665969794" style="FLOAT: left; MARGIN: 0px 10px 10px 0px; WIDTH: 149px; CURSOR: hand; HEIGHT: 110px" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjZdYgfeVs-R5iuo7dhyphenhyphenmLnC3RQ7UtvwRdJnqKholNPfVFLwYXYhyJFRNoxtsLrXyBim52_Vx2IBQ2ljnl_ciKRgH_OaHCfJb8HJo23M8w1vMJSn5wAuehFH3rq6aobrFkHBDkp0_R1mFCB/s400/patna+jn..jpg" border="0" /></strong></a><strong> आईये लखनऊ के बाद चलते हैं एक ऐसे प्रदेश की राजधानी में , जहाँ विभिन्न धर्मावालंवियों और पैगंबरों ने शान्ति, प्रेम , भाईचारे व् एकता का संदेश दिया था, वहीं अशोक महान , चन्द्रगुप्त मौर्य और विक्रमादित्य जैसे पराक्रमी राजाओं ने राज किया <span style="color:#cc0000;">।इस प्रकार <span class="">पटना में </span>पहला अक्षर "प" बोध कराता है पराक्रम का । </span></strong><br /><strong></strong><br /><strong><span class=""><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEitpUHgE_jN0WbGzdzigGjPnDUNSE5L_o_sqZLr8ZvAyZRtgtIO7GkrktPKZ5moTFUE51GPvabwrjHugpcJZeVPgc-KiP8bYzDhKNWXLmPqlpYv3KU-h3MM8vW3zXNQkj7_vrly9Hb2it6H/s1600-h/golghar+patna.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5292947089846966050" style="FLOAT: left; MARGIN: 0px 10px 10px 0px; WIDTH: 150px; CURSOR: hand; HEIGHT: 109px" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEitpUHgE_jN0WbGzdzigGjPnDUNSE5L_o_sqZLr8ZvAyZRtgtIO7GkrktPKZ5moTFUE51GPvabwrjHugpcJZeVPgc-KiP8bYzDhKNWXLmPqlpYv3KU-h3MM8vW3zXNQkj7_vrly9Hb2it6H/s400/golghar+patna.jpg" border="0" /></a> महाभारत</span> काल में मगध साम्राज्य को समृद्धि से जोड़कर विलाक्षनता का प्रमाण देने वाला शासक जरासंध , अपनी निपुणता तथा कुटनीतिक तर्कों के आधार पर व्यापक चिंतन सरोकार देने वाला चिन्तक चाणक्य और शून्य की संरचना करते हुए खगोल शास्त्र को प्रमाणिक आधार देने वाला अन्वेषक आर्यभट्ट को जन्म देकर यह भूमि विश्व में अपनी प्रमाणिकता को प्रतिविन्वित करती है । <span style="color:#ffcc33;"><span style="color:#cc0000;">इस प्रकार पटना का दूसरा अक्षर "ट" वोध</span> </span><span style="color:#cc0000;">कराता है टकसाल यानी प्रमाणिकता का । </span></strong><br /><strong><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEitpUHgE_jN0WbGzdzigGjPnDUNSE5L_o_sqZLr8ZvAyZRtgtIO7GkrktPKZ5moTFUE51GPvabwrjHugpcJZeVPgc-KiP8bYzDhKNWXLmPqlpYv3KU-h3MM8vW3zXNQkj7_vrly9Hb2it6H/s1600-h/golghar+patna.jpg"></a></strong><br /><strong><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEitpzBBDhUyXJEJ2kz3fT1mhz7ndvqHhymCD9P9dYlmIjBzkVOnWj_Z8xCat9Z1BJjyr-87aF0-FAfGaIXIRmBzMpa7ypkGA1pny39ow5D5_kSGlfl4Cay_oK8eoGM7iBz4KZGEQaMKTx4-/s1600-h/patna+sahib.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5292946982687094658" style="FLOAT: left; MARGIN: 0px 10px 10px 0px; WIDTH: 150px; CURSOR: hand; HEIGHT: 109px" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEitpzBBDhUyXJEJ2kz3fT1mhz7ndvqHhymCD9P9dYlmIjBzkVOnWj_Z8xCat9Z1BJjyr-87aF0-FAfGaIXIRmBzMpa7ypkGA1pny39ow5D5_kSGlfl4Cay_oK8eoGM7iBz4KZGEQaMKTx4-/s400/patna+sahib.jpg" border="0" /></a> यह वही भूमि है जहाँ विश्व विजेता सिकंदर महान की सफलता का रथ अचानक थम गया था । वहीं सिक्खों के दसवें गुरु गुरु गोविन्द सिंह की जन्म स्थली पटना साहेब को प्राकट्य करके यह भूमि विश्व समुदाय में नातेदारी के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को प्रमाणित करती है । भारत का यह एक मात्र ऐसा शहर है जहाँ कई महत्वपूर्ण संस्कृतियाँ एक साथ प्रवाहित होती है । <span style="color:#cc0000;">इस प्रकार पटना का अन्तिम अक्षर "ना" विश्व वन्धुत्व अर्थात विश्व से नातेदारी का बोध कराता है । </span></strong><br /><strong></strong><br /><span style="color:#006600;"><strong>अर्थात पराक्रम , प्रमाणिकता और नातेदारी का एहसास कराता है यह पटना शहर । </strong><br /><strong></strong></span><br /><strong><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiqxOU5t-3Wc_kqCV-jHQsvVARo0vFtPwsw4-PLSkK4L8xed14YN41gIcoCHDQLlK908aniOPJGFBfuqhv8UcV3t1cpVJVsoXzDOhTI6uTrMX-FbaZHaq82KSxYXIyiUYbszCqJ8YoSep_C/s1600-h/taramandal+patna.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5292946898978784242" style="FLOAT: left; MARGIN: 0px 10px 10px 0px; WIDTH: 150px; CURSOR: hand; HEIGHT: 109px" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiqxOU5t-3Wc_kqCV-jHQsvVARo0vFtPwsw4-PLSkK4L8xed14YN41gIcoCHDQLlK908aniOPJGFBfuqhv8UcV3t1cpVJVsoXzDOhTI6uTrMX-FbaZHaq82KSxYXIyiUYbszCqJ8YoSep_C/s400/taramandal+patna.jpg" border="0" /></a> </strong><strong>पटना</strong><strong> का इतिहास काफी पुराना है जो पवित्र नदी </strong><strong>गंगा</strong><strong> के किनारे बसा हुआ है। पटना भारत के गौरवशाली शहरों में से एक है। इस शहर को ऐतिहासिक इमारतों के लिए भी जाना जाता है। पटना का इतिहास </strong><strong>पाटलीपुत्र</strong><strong> के नाम से 5वीं सदी में शुरू होता है। तीसरी सदी ईसा पूर्व में पटना </strong><strong>मगध</strong><strong> की राजधानी बनी जहां के शासक महान सम्राट </strong><strong>अशोक</strong><strong> हुए। सम्राट अशोक के शासनकाल को भारत के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। चूंकि पटना से </strong><strong>वैशाली</strong><strong>, </strong><strong>राजगीर</strong><strong>, </strong><strong>नालंदा</strong><strong>, </strong><strong>बोधगया</strong><strong> और </strong><strong>पावापुरी</strong><strong> के लिए मार्ग जाता है, इसलिए यह शहर बौद्ध और जैन धर्मावलंबियों के लिए गेटवे' के रूप में भी जाना जाता है। आजादी मिलने के बाद पटना बिहार राज्य की राजधानी बनी। पटना पर्यटन के लिहाज से एक प्रमुख स्थान है। यह वाणिज्यिक रूप से भी बिहार का एक प्रमुख शहर है। इसके अलावा महात्मा गांधी सेतु पटना को बिहार के अन्य पर्यटन स्थल से सड़क के माध्यम से जोड़ता है। यह पुल 7.5 किलोमीटर लंबा है। गोलघर, हरमंदिर, कुम्हरार आदि यहां के प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं।<br />पटना एक ओर जहां शक्तिशाली राजवंशों के लिए जाना जाता है। वहीं दूसरी ओर ज्ञान और अध्यात्म के कारण भी यह काफी लोकप्रिय रहा है। यह शहर कई प्रबुद्ध यात्रियों जैसे </strong><strong>फाह्यान</strong><strong>, </strong><strong>ह्वेनसांग</strong><strong> के आगमन का भी साक्षी है। कई इतिहासविद यह भी मानते हैं कि महानतम कूटनीतिज्ञ </strong><strong>कौटिल्य</strong><strong> ने यहीं पर अर्थशास्त्र की रचना की थी।</strong><br /><p><strong><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgMJ4UAF9N1RvKPkus9NJ3QZxGjiGi1Y9E7S7ktuJ2_gsRLAFQqViA_tywEU_3KpoEIS-rt_cXZQS07TwRdv60n_Ge9V6-MR30HGgHaLf63ObTXzYpfZ7j2EW5BYKbgCOMrVqTIuuV_Izza/s1600-h/viskoman+patna.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5292946758747943826" style="FLOAT: left; MARGIN: 0px 10px 10px 0px; WIDTH: 150px; CURSOR: hand; HEIGHT: 109px" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgMJ4UAF9N1RvKPkus9NJ3QZxGjiGi1Y9E7S7ktuJ2_gsRLAFQqViA_tywEU_3KpoEIS-rt_cXZQS07TwRdv60n_Ge9V6-MR30HGgHaLf63ObTXzYpfZ7j2EW5BYKbgCOMrVqTIuuV_Izza/s400/viskoman+patna.jpg" border="0" /></a></strong></p><p><strong><span style="color:#ffff66;"><span style="color:#cc0000;">इस प्रकार यह शहर कई संस्कृतियों की पहचान है और इन्ही सब कारणों से मेरा भारत महान है !</span><br /></span></strong></p>malahttp://www.blogger.com/profile/09493715792470271562noreply@blogger.com5tag:blogger.com,1999:blog-6665839353564249178.post-2356119985200806342009-01-06T21:25:00.000-08:002009-01-06T22:10:02.687-08:00उच्च विकसित कुलीन संस्कृति के लिए विख्यात है लखनऊ<strong><span class=""> <a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjf-V1uaSfULyN28bpq47HQSGvaCr5Cg0NU11F4IXUOfnwIqpSkyDLSaY0PPwJ69mZ5wYWdWes-rRlwAhJnlP6Ul-gIB2IWMyk5CTIgJX634qTbv3bUrpvm20AyKtWVDK8Dkkh58YVkQhLx/s1600-h/Clocktowerlko.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5288419173496148434" style="FLOAT: left; MARGIN: 0px 10px 10px 0px; WIDTH: 180px; CURSOR: hand; HEIGHT: 240px" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjf-V1uaSfULyN28bpq47HQSGvaCr5Cg0NU11F4IXUOfnwIqpSkyDLSaY0PPwJ69mZ5wYWdWes-rRlwAhJnlP6Ul-gIB2IWMyk5CTIgJX634qTbv3bUrpvm20AyKtWVDK8Dkkh58YVkQhLx/s320/Clocktowerlko.jpg" border="0" /></a> लखनऊ</span> १५२८ में भारत के पहले मुग़ल शासक बाबर द्वारा कब्जा किए जाने के बाद से महत्वपूर्ण हुआ । उनके पोते अकबर के शासन काल में यह शहर अवध प्रांत का हिस्सा बना । १७७५ में अवध के नवाब बने आसफुदौल्ला ने अपनी राजधानी को फैजाबाद से स्थानांतरित कर लखनऊ ले आए । जब १८५७ में भारतीय विद्रोह शुरू हुआ तो तत्कालीन ब्रिटिश कमिश्नर सर हेनरी लौरेंस और लखनऊ में रहने वाले यूरोपीय लोगों की ब्रिटिश तूकादियों द्वारा छुडाये जाने के पहले कई महीनों तक घेरेबंदी में कैद रहना पडा । उस समय अंग्रेजों ने शहर छोड़ दिया , लेकिन अगले ही साल भारत पर फ़िर से नियंत्रण पाकर वापस लौट आए । लखनऊ अपनी उच्च विकसित कुलीन संस्कृति के लिए विख्यात है, जो यहाँ के आम-आदमी में रच-बस गयी है , तमीज-तहजीब और नफासत इसकी पहचान है । </strong><br /><strong></strong><br /><strong><span class=""> <a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhzzCLU8IzvwSLd4Eo8fmnSjA2QA7J3ihACuz_9GV62EZmE3Z0Kg8Lyqwhvt_Ikw3Wb4BOTpsPIeGmL2V9IOMzq6rLsi9-UiLvLWyN9D4XkzKcZSTbrCKTAhCYhCZyZByJGWPYx2M-qihsZ/s1600-h/Adnanwiki.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5288419485063320242" style="FLOAT: left; MARGIN: 0px 10px 10px 0px; WIDTH: 180px; CURSOR: hand; HEIGHT: 135px" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhzzCLU8IzvwSLd4Eo8fmnSjA2QA7J3ihACuz_9GV62EZmE3Z0Kg8Lyqwhvt_Ikw3Wb4BOTpsPIeGmL2V9IOMzq6rLsi9-UiLvLWyN9D4XkzKcZSTbrCKTAhCYhCZyZByJGWPYx2M-qihsZ/s320/Adnanwiki.jpg" border="0" /></a> लखनऊ</span> में वास्तुशिल्प के उत्कृष्ट उदाहरण है - बड़ा इमामवाड़ा , जो एक मंजिला इमारत है , जहाँ मुहर्रम के महीने के दौरान शिया मुसलमान इकठ्ठा होते हैं। रूमी दरबाजा तुर्की दरबाजा इन्स्ताम्बुल के बाब-ऐ-हुमायूं की तर्ज़ पर बनाया गया है और सर्वाधित संरक्षित स्मारक रेजीडेंसी , जो १८५७ में विद्रोह के दौरान ब्रिटिश टुकडियों की आत्म रक्षा का स्थल था । १८५७ में यहाँ विद्रोह के दौरान शहीद हुए भारतीयों की स्मृति में एक स्मारक बनाया गया । </strong><br /><strong><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEha4kFcu-EtzrgSYTF0LjPzZpvCe_y-ZcMFYwDYupQdToxB2ey5iHyN5eNjtHcog8PxPzPcc-hOXs8H-L0b7USrhSEANNmX16cTV1vksHiTL5DCuuZvHdsEzhI7Rre5cTnBkSPcNpDc-G_O/s1600-h/Chhotaimambara.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5288419365645709058" style="FLOAT: left; MARGIN: 0px 10px 10px 0px; WIDTH: 180px; CURSOR: hand; HEIGHT: 135px" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEha4kFcu-EtzrgSYTF0LjPzZpvCe_y-ZcMFYwDYupQdToxB2ey5iHyN5eNjtHcog8PxPzPcc-hOXs8H-L0b7USrhSEANNmX16cTV1vksHiTL5DCuuZvHdsEzhI7Rre5cTnBkSPcNpDc-G_O/s320/Chhotaimambara.jpg" border="0" /></a></strong><br /><strong> यहीं पर हुआ था १९१६ का ऐतिहासिक लखनऊ समझौता , बाल गंगाधर तिलक और मुहम्मद अली जिन्ना के बीच । कुल मिलाकर लखनऊ हमारी तहजीव की एक अलग पहचान है और यहाँ जो भी एक बार आ जाता ,मेहमाननवाजी देखकर कह उठता कि सचमुच मेरा भारत महान है ।</strong> <a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi3Rs32T-LDBivW9rWa6YyjCOI5T8Z5aVmqKtSba1Vu3Hx5B2zNdv5gCVOnU9zR1gnRaf2_fM9S1I-ycPRejmPaZ6SY3qf3mSjJiaz79lEqqM8YzABpm2c2wZm1VZWnUm8_SMgEW3xuawAz/s1600-h/La_Martiniere3-Lucknow.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5288418933372644978" style="FLOAT: left; MARGIN: 0px 10px 10px 0px; WIDTH: 250px; CURSOR: hand; HEIGHT: 182px" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEi3Rs32T-LDBivW9rWa6YyjCOI5T8Z5aVmqKtSba1Vu3Hx5B2zNdv5gCVOnU9zR1gnRaf2_fM9S1I-ycPRejmPaZ6SY3qf3mSjJiaz79lEqqM8YzABpm2c2wZm1VZWnUm8_SMgEW3xuawAz/s320/La_Martiniere3-Lucknow.jpg" border="0" /></a><br /><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiTl2-hdDEV0yP6KPQdzIwgeAJyzNAxvDKAEwqT7JFBqu7LPkm-ZB_L3Q5JjCaF7HtoP9lkroQWW14lZch5etZzeg7AuBgsS-1l2tfjL7CfT8OimxIkWTOIBIlkK3rHCnVLYI8pSZh03jLn/s1600-h/IIMLucknow.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5288419082855964034" style="FLOAT: left; MARGIN: 0px 10px 10px 0px; WIDTH: 250px; CURSOR: hand; HEIGHT: 164px" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiTl2-hdDEV0yP6KPQdzIwgeAJyzNAxvDKAEwqT7JFBqu7LPkm-ZB_L3Q5JjCaF7HtoP9lkroQWW14lZch5etZzeg7AuBgsS-1l2tfjL7CfT8OimxIkWTOIBIlkK3rHCnVLYI8pSZh03jLn/s320/IIMLucknow.jpg" border="0" /></a>malahttp://www.blogger.com/profile/09493715792470271562noreply@blogger.com5tag:blogger.com,1999:blog-6665839353564249178.post-36386369933619587382008-12-28T05:26:00.000-08:002009-12-29T03:01:19.494-08:00आईये दिल्ली के बाद ग़ज़ल की लखनवी महफ़िल में शिरकत करें चंद अशआरों के साथ -<p><strong><span class=""><span style="color:#cc0000;">लखनऊ : जिसके दामन में मुहब्बत के फूल खिलते हैं...</span></span></strong></p><p><strong>आज २७ दिसम्बर है , उर्दू के मशहूर शायर मिर्जा असदुल्लाह खाँ ग़ालिब का और हम चर्चा कर रहे हैं गालिब के शहर दिल्ली का , जिसे २००० वर्ष पूर्व बसाया था गुप्त साम्राज्य ने । वैसे तो इसका इतिहास जुडा है महाभारत काल से , मगर दिल्ली नही खांडव प्रस्थ और इन्द्रप्रस्थ के रूप में । दिल्ली ही एक ऐसा शहर है जिसके बारे में कहते - कहते थक जायेंगे आप , शब्दों की श्रृंखलाएं छोटी पड़ जायेंगी मगर अंत नही होगा दिल्ली की कहानी का । दिल्ली के बाद जो शहर गालिब का पसंदीदा रहा उसमें से एक है तहजीव का शहर लखनऊ , जिसके बारे में गालिब ने कहा है , की -</strong></p><p><strong><span style="color:#cc0000;">"वां पहुँच कर जो गश आता पैदम है हमको ,</span></strong></p><p><strong><span style="color:#cc0000;">सद रहें आहंगे जमीन बोस कदम है हमको ,</span></strong></p><p><strong><span style="color:#cc0000;">लखनऊ आने का बाईस नही खुलता यानी -</span></strong></p><p><strong><span style="color:#cc0000;">हाविसे सिरों तमाशा सो वह कम है हमको । "</span></strong></p><p><strong><span style="color:#ffff00;"><span style="color:#3333ff;"><span class="">जब</span> लखनऊ का जिक्र आ ही गया , तो चलिए चर्चा करते हैं नबाबों केशहरलखनऊ की । इस शहर को तहजीब का शहर भी कहते हैं , जिसके बारे में किसी शायर ने कहा है</span> - </span><span style="color:#cc0000;">" लखनऊ है तो महज गुम्बद वो मीनार नही , सिर्फ़ एक शहर नही कूचा वो बाज़ार नहीं , इसके दामन में मुहब्बत के फूल खिलते हैं - इसकी गलियों में फरिश्तों के पते मिलते हैं ... !"</span></strong></p><p><strong><span style="color:#333333;"><span style="color:#009900;">लखनऊ की चर्चा हो और वहाँ के एक अजीम फनकार और ब्लोगर</span> <a href="http://www.blogger.com/profile/11471859655099784046">रवीन्द्र प्रभात </a></span><span style="color:#009900;">की चर्चा न हो तो बेमानी होगा , क्योंकि</span></strong><strong><span style="color:#333333;"><span style="color:#009900;"> उन्होंने</span> <a href="http://chhaddyaar.blogspot.com/2007/10/blog-post_28.html">कुछ तो है ......जो कि </a><span style="color:#009900;">ब्लॉग पर ग़ज़ल के माध्यम से लखनऊ की संस्कृति पर बहुत हीं सुंदर अभिव्यक्ति दी है । मुझे बहुत पसंद आयी , संभव है आपको भी आयी होगी । यह ग़ज़ल तब आयी थी जब मेरा यह ब्लॉग अस्तित्व में भी नही था । वैसे लखनऊ के ऊपर अपने एक संस्मरण में भी</span> <a href="http://parikalpnaa.blogspot.com/2007/11/blog-post_30.html">परिकल्पना </a><span style="color:#009900;">पर उन्होंने कहा है</span> <a href="http://parikalpnaa.blogspot.com/2007/11/blog-post_30.html">" आदाब से अदब तक यही है लखनऊ मेरी जान ....!"</a> </span><span style="color:#009900;">मैं साहित्यकार नहीं हूँ जो किसी शहर के बारे में ऐसी अनुभूति दे सकूं । फ़िर भी मुझे जो अच्छा लगता है उसका उल्लेख करना अपना धर्म समझती हूँ । अगर आप न पढ़े हों तो इस संस्मरण को अवश्य पढ़े । अपने शहर के बारे में ऐसी अनुभूति हर किसी में होनी चाहिए । </span></strong></p><p><strong><span style="color:#009900;">लखनऊ पर मैं अपनी शेष बातें रखूँगी अब अगले पोस्ट में , तब तक के लिए शुभ विदा !</span></strong></p>malahttp://www.blogger.com/profile/09493715792470271562noreply@blogger.com6tag:blogger.com,1999:blog-6665839353564249178.post-25629046519537493632008-12-20T03:15:00.000-08:002008-12-21T00:42:57.958-08:00एक ऐसा शहर जो तय करता है भारत का राजनीतिक भविष्य .....!<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiswNSsn0g-ZRoK9oQ-95Sq5-sFVNhFzD53qNxhGg7hiNYRnHXMLUNNsJDikzMbHbfibU-m4XCvBklRpaRvEZxX03GDgqpU0nFVqEBG6dYq5ADiKUwpYFgkervreDUft4Y8iALQS-bxyw_E/s1600-h/delhi+map-2.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5281830387165095458" style="FLOAT: left; MARGIN: 0px 10px 10px 0px; WIDTH: 126px; CURSOR: hand; HEIGHT: 129px" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiswNSsn0g-ZRoK9oQ-95Sq5-sFVNhFzD53qNxhGg7hiNYRnHXMLUNNsJDikzMbHbfibU-m4XCvBklRpaRvEZxX03GDgqpU0nFVqEBG6dYq5ADiKUwpYFgkervreDUft4Y8iALQS-bxyw_E/s400/delhi+map-2.jpg" border="0" /></a> <a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjrVwgN6twc0tZAPRFdHYc8CG8doikWOeYtWOsWIogsOMvFYTYlL8W6C1zM8TBaYK9d7pJReyPJtKDDdxu_AazpHECjlgOgO2RGpyoNIT3YTLBhCXkY1LnJqY9XqpaTI3yo5vtAgtcYlyQq/s1600-h/delhi+photo-6.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5281830265391176258" style="FLOAT: right; MARGIN: 0px 0px 10px 10px; WIDTH: 98px; CURSOR: hand; HEIGHT: 130px" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEjrVwgN6twc0tZAPRFdHYc8CG8doikWOeYtWOsWIogsOMvFYTYlL8W6C1zM8TBaYK9d7pJReyPJtKDDdxu_AazpHECjlgOgO2RGpyoNIT3YTLBhCXkY1LnJqY9XqpaTI3yo5vtAgtcYlyQq/s400/delhi+photo-6.jpg" border="0" /></a><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5281830160779181282" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; WIDTH: 140px; CURSOR: hand; HEIGHT: 98px; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhK2BB-6i423ZtG8gXPYBk4o-OjzU2_gbUqPzyehJjvQ4DgyXiX7iOrClzqq8jtE86XntjVYvltkB8qOFPNeLVcgt7wXViRg8pyMpSYkYH7DLVA6pMdYY32dRp3UPw1QEwGWhakRGmBdshR/s400/delhi+photo-5.jpg" border="0" /><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgMfPQQ6NRjMkuFbPrmoJd6mXhawFXp6FEeVh9b7BKJEZBF_xICmDfJBxTIVntZ6Ngbpbs1IxYyYfbTSbJqbfV1D79x6n28z2u4vu0h9VHgswExuycm9ZArzksMVUFANUYnhxc0T9rld7mE/s1600-h/delhi+photo-4.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5281830069110824306" style="FLOAT: left; MARGIN: 0px 10px 10px 0px; WIDTH: 98px; CURSOR: hand; HEIGHT: 125px" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgMfPQQ6NRjMkuFbPrmoJd6mXhawFXp6FEeVh9b7BKJEZBF_xICmDfJBxTIVntZ6Ngbpbs1IxYyYfbTSbJqbfV1D79x6n28z2u4vu0h9VHgswExuycm9ZArzksMVUFANUYnhxc0T9rld7mE/s400/delhi+photo-4.jpg" border="0" /></a><br /><br /><div><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhKqy4cofNNkmzdQewtaw0SL6m-T5PE8DtB5rypmSwF7gLeW9MDH8fgOE3eGJfAgR8mAtIPvMEB5Jm7aR41LeShguBdQ4IO-5dRbtB6vW9zziXR2Twc_-afEQqYODMHP8Cv5EyFyaBS0wV4/s1600-h/delhi+photo-3.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5281829931828113042" style="FLOAT: right; MARGIN: 0px 0px 10px 10px; WIDTH: 135px; CURSOR: hand; HEIGHT: 101px" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhKqy4cofNNkmzdQewtaw0SL6m-T5PE8DtB5rypmSwF7gLeW9MDH8fgOE3eGJfAgR8mAtIPvMEB5Jm7aR41LeShguBdQ4IO-5dRbtB6vW9zziXR2Twc_-afEQqYODMHP8Cv5EyFyaBS0wV4/s400/delhi+photo-3.jpg" border="0" /></a><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5281829826343419138" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; WIDTH: 135px; CURSOR: hand; HEIGHT: 101px; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEimOT2wriW0xtHDHCTe2d2LCcRTJs1rhtU6KgQzX4tkvc8OrhkQl9vjt-894s2WzOjVlCwo051cPbRgMx3JwgceypNrK632wyn5CJHbtX5oNalYEsMFC2G56y8xM5km__W45sKyi57CGRtb/s400/delhi+photo-2.jpg" border="0" /><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEizE1Zm_PbATR4DG0u1hxbzd8-NjaS3l_PKA6zjkMnnjf_cjc2TjsP6yUEJIMJI-ylQVNAHDzUnF-9ZoBhN6uJ_p33ilhEh4At_-IUWEkJ4sQJfiFe-228yV-P2lx2D_PMXxwY6imkZJ_ar/s1600-h/delhi+phot-1.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5281829687952447810" style="FLOAT: left; MARGIN: 0px 10px 10px 0px; WIDTH: 133px; CURSOR: hand; HEIGHT: 97px" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEizE1Zm_PbATR4DG0u1hxbzd8-NjaS3l_PKA6zjkMnnjf_cjc2TjsP6yUEJIMJI-ylQVNAHDzUnF-9ZoBhN6uJ_p33ilhEh4At_-IUWEkJ4sQJfiFe-228yV-P2lx2D_PMXxwY6imkZJ_ar/s400/delhi+phot-1.jpg" border="0" /></a><br /><br /><br /><div><strong>जी हाँ ! दिल्ली और उससे जुडा अंतरार्ष्ट्रीय शहर नयी दिल्ली हीं वह शहर है जो हमेशा से ही तय करता रहा है , भारत का राजनीतिक भविष्य । देता रहा है प्राण वायु भारतीय स्नायु तंत्र को और करता रहा है सतत सेतु का निर्माण विभिन्न भाषाओं , संस्कृतियों और विचारों के <span class="">बीच । </span>जिसकी गोद में सोते रहे हैं अनेक देश भक्त और संत, जहां हजारों कवि और शायर के विचरण मात्र से स्पंदित होता रहा है भारतीय परिदृश्य , जिसके आस - पास जन्मी हिन्दी और पनपी भी , जहां हुआ है उर्दू का जन्म , जिसकी गलियों में चंदवरदाई , खुसरो और रहीम के स्वर गूंजे थे, जहां पर मीर , गालिब और जोक की कविता लहराई थी । दिल्ली भारत का वह ऐतिहासिक नगर है जिसके माध्यम से न केवल सारे देश की वल्कि सारी दुनिया की कहानी कही जा सकती <span class="">है, </span>क्योंकि तेजी से सुपर पावर की ओर अग्रसर एक ऐसे राष्ट्र की यह राजधानी है जिसपर अनवरत टिकी होती है सम्पूर्ण विश्व की दृष्टि । </strong></div><br /><div><strong>दिल्ली एक ऐसा अन्तराष्ट्रीय नगर है जो पिछले हजार सालों से भारत का दिल बना हुआ है। हर बादशाह, हर राजा की ख्वाहिश रही है कि वह दिल्ली का शासक बने । चाहे वह महा भारत के पांडव रहे हों अथवा गुप्त सम्राट चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य । चाहे तोमर राजा अनंग पाल रहे हों अथवा इतिहास पुरुष पृथ्वी राज चौहान, चाहे मुग़ल बादशाह रहे हों अथवा अंग्रेज । दिल्ली संत - महात्माओं की जहां तपो भूमि रही है वहीं अनेक सूफी संतों के अमर उपदेश की साक्षी भी । दिल्ली शासन का केंद्र विन्दु रही है वहीं अनेक अन्तराष्ट्रीय समझौतों का जिवंत गवाह भी । यहाँ पर <span class=""></span>प्रसिद्द गांधी - इरविन समझौता हुआ , यहीं पर गांधी जी ने अपने कई उपवास किये , यहीं पर हत्यारों की गोली खाकर कई वीर सपूतों ने स्वाधीनता की वलि -वेदी परअपने प्राणों का अर्घ्य चढाया , यहीं पर क्रांतिकारियों ने स्वतंत्रता रूपी कल्प वृक्ष का पौधा लगाया और यहीं पर गांधीवादियों ने उसे सिंचितकर विकसित किया और अनेक मुकामों को तय करते हुए दिया भारतीय जनतंत्र को स्वतंत्रता का अमूल्य उपहार । </strong></div><br /><div><strong>हमारी यह दिल्ली हमेशा से हीं भारतीय गणराज्य में संस्कृति और संस्कार का संचार करती रही है और देती रही है पूरे विश्व में एक मुकम्मल पहचान .......क्यों ? है न मेरा भारत महान ......! आज वस् इतना हीं, मिलती हूँ अगले पोस्ट में , तब तक के लिए शुभ विदा !</strong></div></div>malahttp://www.blogger.com/profile/09493715792470271562noreply@blogger.com6tag:blogger.com,1999:blog-6665839353564249178.post-34223619041059575822008-12-11T01:04:00.001-08:002008-12-12T00:29:21.431-08:00ताल तो भोपाल ताल , और सब तलैया .....!<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiJRpzcpOsm4O3P_Elxs04cdqMvo4dyibYujhAxzS6iFRTMO9aOxXroYgXaQD2U0Xh-BK2Qzrjt51IUOE1jyQz1PG4UH0mLUNMozpBN3nV3Qv__HsV6exoz-v-v2X8LvblKNYDxiXUUaPJA/s1600-h/bharat+bhavan+bhopal.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5278455862660789634" style="FLOAT: left; MARGIN: 0px 10px 10px 0px; WIDTH: 150px; CURSOR: hand; HEIGHT: 103px" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEiJRpzcpOsm4O3P_Elxs04cdqMvo4dyibYujhAxzS6iFRTMO9aOxXroYgXaQD2U0Xh-BK2Qzrjt51IUOE1jyQz1PG4UH0mLUNMozpBN3nV3Qv__HsV6exoz-v-v2X8LvblKNYDxiXUUaPJA/s400/bharat+bhavan+bhopal.jpg" border="0" /></a><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgbDfZe9q66DqQ550p-kjzm2Aw2axIPurieEK3NPJo6xEnz_p6mWB0kJrYz-q_d2WBR2XIMZEOdKLli_-J_NhJKHoACzJpjScqsoVzfRXSBZKgYXK8z9eDWrIgWota0sIwW3Vl7qUbqz2jq/s1600-h/bhel"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5278455956678952898" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; WIDTH: 120px; CURSOR: hand; HEIGHT: 80px; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgbDfZe9q66DqQ550p-kjzm2Aw2axIPurieEK3NPJo6xEnz_p6mWB0kJrYz-q_d2WBR2XIMZEOdKLli_-J_NhJKHoACzJpjScqsoVzfRXSBZKgYXK8z9eDWrIgWota0sIwW3Vl7qUbqz2jq/s400/bhel's+bhopal.jpg" border="0" /></a><br /><br /><div><strong>कहते हैं , कि -</strong></div><br /><div><strong>ग्यारहवीं शताब्दी में परमार राजा भोज ने भोजपाल नगर बसाया , जो बिगड़कर भोपाल हो गया । लेकिन आज का भोपाल बसाया एक अफगान सरदार दोस्त मोहम्मद ने, जो औरंगजेब की मृत्यु के बाद फ़ैली अराजकता में दिल्ली से भागकर कोई ठिकाना तलाश रहा था । सुन्दरी गोंड रानी कमलापति के पति की उसी दौरान ह्त्या कर दी गयी थी । उसने दोस्त मोहम्मद से मदद माँगी । भोपाल में १८१९ से १९२६ तक लगातार कई बेगमों का शासन रहा । भोपाल के नवाबों और बेगमों ने यहाँ कई शानदार इमारतें बनवाई । भोपाल का सबसे बड़ा आकर्षण तो यहाँ का ताल हीं है , जिसके बारे में कहा जाता है, कि -" ताल तो भोपाल ताल, और सब तलैया " </strong></div><br /><div><strong>वैसे तो भोपाल के बारे में बताने के लिए हमारे पास बहुत है, लेकिन ज्यादा चर्चा कर मैं विषय से भटकना नहीं चाहती । लेकिन चलते-चलते इतना अवश्य बता देना चाहती हूँ कि आधुनिक भोपाल के महत्वपूर्ण स्थानों में है- जनजातीय कलाओं,शिल्पों,ललित कलाओं का प्रमुख केंद्र भारत भवन,भारत की विविध जीवन शैलियों और उनके घरों को हूँ-बहू दिखाने वाला मानव संग्राहालय , राजभवन , विधान सभा,लक्ष्मी नारायण मंदिर, गांधी भवन और ताल के पास बना सुन्दर वन विहार। भोपाल से ११कि0 मी० दूर इस्लाम नगर में दोस्त मोहम्मद का महल है । भोपाल से ४५ कि० मि० दूर रायसेन अपने मजबूत किले के लिए प्रसिद्द है , जिस पर यहाँ के राजा राय पूरन मोल को हराकर शेरशाह सूरी ने सोलहवीं शताब्दी में कब्जा कर लिया था । यकीनन भोपाल ग़ज़ब का शहर है.... !</strong></div><br /><div><strong>भारत के ह्रदय प्रदेश की ह्रदय स्थली घूमने के बाद याद आती है दिल्ली कीr , जो हमाराh राष्ट्रीय स्वाभिमान है और इसी शहर से हम शंखनाद करते रहे हैं कि - मेरा भारत महान है .......!</strong></div><br /><div><strong>अगले पोस्ट में मैं चर्चा करूंगी दिल्ली की , लिकिन उसके पहले लेती हूँ एक विराम , तब तक के लिए शुभ विदा !</strong><br /><br /></div><br /><div></div>malahttp://www.blogger.com/profile/09493715792470271562noreply@blogger.com7tag:blogger.com,1999:blog-6665839353564249178.post-84550815910107120252008-12-08T03:07:00.000-08:002008-12-21T07:26:56.763-08:00भोपाल: जिसके धड़कन मात्र से धड़कता है भारत का दिल ...!<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgEIut0w-kAT_jVldEpbHIVP63Bs5JQt0itFMynqsI5PWSXEAcmIU7VkLUjWonf6p-eqP8hHcX9g6JKXyIwoCr7BRsQfR-_LmM4dMdltBtwMGjnUOliPcBMGkl-Sz-MVZKaJr5pPAwNGwvZ/s1600-h/bhopal+map.png"></a><br /><strong>जी हाँ ! भोपाल भारतीय गणराज्य के ह्रदय प्रदेश मध्य प्रदेश का ह्रदय स्थल है , जिसके धड़कन मात्र से प्राप्त होती है प्राण वायु भारतीय गणराज्य को । कई प्रकार की प्राणवान बनावटों एवं उर्जावान आकृतियों का प्रभा मंडल प्रस्तुत करता हुआ भव्य शहर । अनेक संस्कृतियों को अपने ह्रदय में छिपाए अतीत और वर्त्तमान दोनों में जीने वाला शहर , जिसके विधान मंडल में आकार लेती है बुंदेलखंड, मालवी ,भाघेल खंड और विंध्याचल की सुन्दर संस्कृति से जुडी २३० सदस्यीय पीठ । धर्म , ज्योतिष , कला और काव्य से जुडी हुयी अनेक कथाएं और उन कथाओं में सहस्त्रवाहू और परशुराम के महा संग्राम का जीवंत गवाह भी ।<br /><br /></strong><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhLaTCkTRvOl4jqgow_OM8p9HT2MQAFa2uaV3CRo8RZXMsiHirU2AxIFs0EVe1QTGR0kW2bZZaeY6SI2OB8mHyX799_Q5NXXXK259YdvFycSbH2uJZdai5EoFD_TM8vB6jWgMJwpVzlA8NZ/s1600-h/bhopal+lake+view.jpg"><strong><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5277374887668881858" style="FLOAT: left; MARGIN: 0px 10px 10px 0px; WIDTH: 180px; CURSOR: hand; HEIGHT: 135px" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhLaTCkTRvOl4jqgow_OM8p9HT2MQAFa2uaV3CRo8RZXMsiHirU2AxIFs0EVe1QTGR0kW2bZZaeY6SI2OB8mHyX799_Q5NXXXK259YdvFycSbH2uJZdai5EoFD_TM8vB6jWgMJwpVzlA8NZ/s320/bhopal+lake+view.jpg" border="0" /></strong></a><strong><br /><br /></strong><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgrocd94EVqsvq48qsvlLm9ZzCFgu3Gto23p2wbb56Vf_vh1iJVqLviXR3uo9EmqrdkobeBoxuWKy-Xmnvjfgi_pF6aO4viz6YikDrIsiGkbCqRqYqE8wxJXR5JmGrzNqGprPti0iWgHcg6/s1600-h/gauhar+mahal+bhopal.jpg"><strong><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5277375099848004354" style="FLOAT: right; MARGIN: 0px 0px 10px 10px; WIDTH: 180px; CURSOR: hand; HEIGHT: 105px" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgrocd94EVqsvq48qsvlLm9ZzCFgu3Gto23p2wbb56Vf_vh1iJVqLviXR3uo9EmqrdkobeBoxuWKy-Xmnvjfgi_pF6aO4viz6YikDrIsiGkbCqRqYqE8wxJXR5JmGrzNqGprPti0iWgHcg6/s320/gauhar+mahal+bhopal.jpg" border="0" /></strong></a><strong><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5277375000914940306" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; WIDTH: 180px; CURSOR: hand; HEIGHT: 135px; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEic65Wg1y89LP1A6pP_Oig7BhuD7hmD83EYJAGk60NEuVPNsodDSgirFohNBsZDMIlov6NQZOJ6aAIQ4xDlijdIVzIOjl8RTWI3dnnhmObGS4x9TS0pmQ3ilRFn6XWZBZG6jL4yF9WuS73w/s320/boat+club+bhopal.jpg" border="0" /><br /><br /></strong><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg4v_EqmC9cc8oAlq61wFzeRPAdUVyl6Q_6o2QXJxi0oa8jkf50v7P2aNspHazIErL6q2cAdrOjXnHErc9EbZPVe_33RuREcWDIC0ItoF2yTMkhO-BdKtRVYAK1tvHO70wgMV3CSXXqDyD6/s1600-h/bhopal+lake.jpg"><strong><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5277374795561704562" style="FLOAT: right; MARGIN: 0px 0px 10px 10px; WIDTH: 180px; CURSOR: hand; HEIGHT: 186px" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg4v_EqmC9cc8oAlq61wFzeRPAdUVyl6Q_6o2QXJxi0oa8jkf50v7P2aNspHazIErL6q2cAdrOjXnHErc9EbZPVe_33RuREcWDIC0ItoF2yTMkhO-BdKtRVYAK1tvHO70wgMV3CSXXqDyD6/s320/bhopal+lake.jpg" border="0" /></strong></a><strong><br /><br />भोपाल-एक ऐसा शहर जहां स्थापत्य,शिल्प और साहित्य का सुन्दर समागम है, जहां की प्रगति यह परिलक्षित करती है , कि दसवीं शताब्दी में परमार शाशक राजा भोजपाल के द्वारा स्थापित की गयी यह सुन्दर नगरी लगातार सापेक्ष और निरपेक्ष परिस्थितियों में भी व्यवसायिक प्रगति का सफ़र तय करते हुए अक्षुण्य रखी है अपनी सभ्यता और संस्कृति के गौरवशाली अतीत को । भोपाल को एक ऐसे राज्य की राजधानी होने का गौरव प्राप्त हुआ , जो मध्य भारत, भोपाल रियासत, विन्ध्य प्रदेश और महा कौशल ( अब छतीसगढ़ राज्य ) की पुराणी राजनैतिक इकाईयों को मिलाकर बनाया गया है, जिसके धड़कन मात्र से धड़कता है भारत कादिल । भोपाल के लोग -सादा जीवन उच्च विचार में विश्वास रखते हैं । रहन-सहन अत्यंत सादा और विवेक की पराकाष्ठा चरम पर । यही वह कारण है कि भोपाल भारत के अन्य शहरों की तुलना में अत्यंत तेजी से प्रगति करने वाला अग्रणी शहर है । चाहे हिन्दू हों, मुसलमान हो अथवा आदिवासी सभी अपने-अपने रीति रिवाजों का पालन करते हुए प्रगति के नए युग में प्रवेश करने को दृढ संकल्पित है । वास्तव में यह शहर एक ऐसे शहर के रूप में शुमार होता है जहां हिन्दू, मुसलमान, ईसाई , बौद्ध आदि धर्मावलम्बियों को एक सूत्र में पिरोते हुए सामाजिक सांस्कृतिक सहिष्णुता का अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत करता है । कहा जाता है कि लखनऊ की ही तरह यह शहर भी तहजीव का शहर है । जी हाँ ! भोपाल एक ऐसा शहर है जिसकी है दिलचस्प पहचान ,जिसे महसूस कर आप भी कहेंगे मेरा भारत महान <span class="">.... ! ( अभी जारी है ....मिलती हूँ अगले पोस्ट में , तब तक के लिए शुभ विदा ! )</span></strong>malahttp://www.blogger.com/profile/09493715792470271562noreply@blogger.com19tag:blogger.com,1999:blog-6665839353564249178.post-7053189850628838352008-12-04T21:55:00.000-08:002008-12-05T05:12:09.491-08:00यह वही मुंबई है, जहाँ " करो या मरो " का प्रस्ताव आया ...!<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgQVRJz4bkn3KlkwrfanMVDkOyPeIV1HfNVi_IZsKw7KbrWmUezDm1czKiuGb82PnUBjyfFfuss2eKSN1mcLCV_rx8gaAv-uJQ9V_bV3O-AOy2vs1-nezXhIeng9OqH3OXtMHAk2wn6AAwu/s1600-h/gate+way+of+india.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5276180802871612690" style="FLOAT: left; MARGIN: 0px 10px 10px 0px; WIDTH: 320px; CURSOR: hand; HEIGHT: 238px" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEgQVRJz4bkn3KlkwrfanMVDkOyPeIV1HfNVi_IZsKw7KbrWmUezDm1czKiuGb82PnUBjyfFfuss2eKSN1mcLCV_rx8gaAv-uJQ9V_bV3O-AOy2vs1-nezXhIeng9OqH3OXtMHAk2wn6AAwu/s320/gate+way+of+india.jpg" border="0" /></a> <strong>जी हाँ यह वही मुंबई है, जहां के अगस्त क्रान्ति मैदान में सन १९४२ में अँगरेजी शासन के खिलाफ " करो या मरो " का प्रस्ताव <span class="">आया। </span>जब कौंग्रेस ने इसे पारित किया <span class="">था </span>तो अगस्त -१९४७ में अंग्रेजों को भगाने के बाद ही चैन की सांस ली थी । अर्थात- मुंबई की कर्मठता हीं इसकी महानता का द्योतक है । </strong><br /><br /><strong></strong><br /><br /><strong>मुंबई के लोग -</strong><br /><br /><strong>सीधे-सादे नाम रखने में माहिर होते हैं। जैसे अलाउद्दीन खिलजी से हारने के बाद इस इलाके का राजा भीम देव यहाँ आया । उसने महिमावती नगरी बसाई , जो आज भी मुंबई का हिस्सा है और माहिम के नाम से जाना जाता है । वह प्रभावती देवी का उपासक था । उसने जहां देवी का मंदिर बनबाया वह आज भी प्रभा देवी के नाम से जाना जाता है । जहां उसका न्यायालय था वह नायगांव (न्याय गाँव) बन गया । इसी प्रकार इमली यानी "चिंच" की बहुतायत वाला इलाका चिन्चबन्दर हो गया तो ताड़ के पंडों वाला इलाका ताड़देव बन गया । बरगद के पेंड वाला इलाका बर्ली हो गया। मछुओं का गाँव यानी मतस्य गाँव मझगांव के नाम से जाना जाने लगा । </strong><br /><br /><strong>इनके बारे में चीनी यात्री ह्वेनसांग ने कहा है, कि -</strong><br /><br /><strong>"ये लोग सरल स्वभाव और सत्यनिष्ठ हैं । अत्यन्त स्वाभिमानी और गंभीर प्रकृति के हैं । सद् व्यवहार का आभार मानते हैं परन्तु हानि पहुंचाने वाले से बदला लेना तथा अपने अपमान का कलंक धोना ये अपना कर्त्तव्य समझते हैं। इनमें कष्ट सहने की अद्भुत क्षमता है। ये परोपकार की भावना से पीडितों की नि:स्वार्थ सेवा करने को हमेशा तैयार रहते हैं । ज्ञान साहित्य और अध्ययन के रसिया हैं । "</strong><br /><br /><strong>मुंबई के</strong> <strong>बारे में बस >इतना हीं अगले पोस्ट में हम चलेंगे भारत के ह्रदय प्रदेश मध्य प्रदेश की हृदय स्थली भोपाल और जानेंगे की कैसे है यह शहर हमारी भारतीय संस्कृति की पहचान .....और इन्ही सब माध्यमों से बना है मेरा भारत महान ....!<br /></strong>malahttp://www.blogger.com/profile/09493715792470271562noreply@blogger.com25tag:blogger.com,1999:blog-6665839353564249178.post-19700582015733808542008-12-04T06:41:00.000-08:002008-12-04T08:15:05.919-08:00क्यों है मुंबई मेरी जान ?<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhCwgKtWdA1H9RJ0kdLQJCgcWZa-j0wNLrBHe7-Jy4P6CoJQJUs_ar1z8wJWWBrvzyWCn1nKCj1tpsYyA6Xp6esKEd07Y564_3axIIzvGZTdNReYaALLOTwL7WOj3HytY9Y77fWbIqoLH0_/s1600-h/180px-Mumbai_Taj.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5275945992647432226" style="FLOAT: left; MARGIN: 0px 10px 10px 0px; WIDTH: 180px; CURSOR: hand; HEIGHT: 135px" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEhCwgKtWdA1H9RJ0kdLQJCgcWZa-j0wNLrBHe7-Jy4P6CoJQJUs_ar1z8wJWWBrvzyWCn1nKCj1tpsYyA6Xp6esKEd07Y564_3axIIzvGZTdNReYaALLOTwL7WOj3HytY9Y77fWbIqoLH0_/s400/180px-Mumbai_Taj.jpg" border="0" /></a><br /><div><strong>मुंबई एक ऐसा अंतरार्ष्ट्रीय नगर है , जहाँ ग्लैमर की चकाचौंध के बावजूद सादा जीवन उच्च विचार की प्रमुखता है । कहा जाता है कि बौम बेम जो पोर्चुगीज भाषा में अच्छी खाडी को कहा जाता है । पुर्तगालियों के द्वारा सन १५३४ में इस शहर पर कब्जा किया गया और नाम दिया गया बॉम्बे । कालांतर में इसका नाम मुंबई पडा । मराठी भाषा में " मुम्बा आयी " का अर्थ होता है मुम्बा देवी अर्थात मुम्बा देवी के प्राचीन मन्दिर से जुड़े होने के कारण मराठी संस्कृति ने इसका नाम दिया मुंबई। </strong></div><div><strong>मुंबई का विकास १८ वीं सदी में शुरू हुआ । सात द्वीपों के वीच समुद्र पाटकर जमीन बनाने यानी रिक्लेमेशन का काम तब शुरू हुआ , वह आज भी जारी है । मुंबई का विस्तार होता रहा और धीरे-धीरे यह भारत का सबसे प्रमुख औद्योगिक व्यापारिक नगर हो गया । तेज़ रफ़्तार जिंदगी और चौबीसों घंटे हलचल तथा काम-काज वाला यह भारत का आधुनिकतम नगर करीब २० लाख से ज्यादा जन संख्या के साथ अंतरार्ष्ट्रीय नगर के रूप में शुमार होता है , जबकि कहा जाता है कि एक समय था अर्थात १६६८ में जब मुंबई को ब्रिटिश सरकार ने १० पौंड यानी करीब ५०० रुपये सालाना किराए पर ईस्ट इंडिया कंपनी को सौंपा था तो उस समय ईस्ट इंडिया कंपनी इसे लेने को तैयार नही हुयी थी । इसी से इस बात का एहसास होता है कि मुंबई कर यानी मुंबई वालों के भीतर विकास के चरम पर पहुँचने का माद्दा ही नही अपितु योग्यता के साथ-साथ पुरुषार्थ भी भी है, जिसका जिवंत गवाह है विश्व का यह अत्यन्त आधुनिकतम नगर मुंबई । अर्थात मुंबई विश्व की धरोहर है , एक अलग पहचान है ....क्योंकि मेरा भारत महान है !</strong></div><div><strong>मुंबई पर अभी जारी है कुछ और महत्वपूर्ण पहलू , जिसे लेकर हम आयेंगे अगले पोस्ट में । </strong></div>malahttp://www.blogger.com/profile/09493715792470271562noreply@blogger.com13tag:blogger.com,1999:blog-6665839353564249178.post-48662491613088447712008-12-01T23:53:00.000-08:002008-12-21T07:30:00.850-08:00क्या आप जानते है की मुंबई पर हमला क्यों किया आतंक वादियों ने ?<a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg5GPPbmyjGRztgshOWxwzDaZNmwoLKq71QzN-jNGhX8qljw2BimziUmZy8_Yu0Hr6SOTj7PuOuA9qH0Vvgdwn1_ofBxYDRrhpRRbezr5tuy-OiA-nJZ4V50WpLGHr3Zmcy12MO-iFN0QWI/s1600-h/514px-India-locator-map-blank.svg"></a><br /><a href="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg_gIPvFsyBXGBtNbgnIWMHuzNS3AaZey5AVqkv_-EQcDgsOhqtl-IVSlO1rAi8QlKAFJWdN7bGhG5DAuN_7zWuaHbchACzy0YDIqw3XA2YT8-q3Vbu_OnVZPH64i5mioTqYThkytRwDttu/s1600-h/235px-DowntownMumbai.jpg"><strong><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5275100136871674610" style="FLOAT: left; MARGIN: 0px 10px 10px 0px; WIDTH: 235px; CURSOR: hand; HEIGHT: 77px" alt="" src="https://blogger.googleusercontent.com/img/b/R29vZ2xl/AVvXsEg_gIPvFsyBXGBtNbgnIWMHuzNS3AaZey5AVqkv_-EQcDgsOhqtl-IVSlO1rAi8QlKAFJWdN7bGhG5DAuN_7zWuaHbchACzy0YDIqw3XA2YT8-q3Vbu_OnVZPH64i5mioTqYThkytRwDttu/s400/235px-DowntownMumbai.jpg" border="0" /></strong></a><strong>पूरा विश्व जानता है-हमारा मुंबई एक ऐसा अन्तराष्ट्रीय नगर है,जो तय करता है भारत का आर्थिक भविष्य । यहाँ का शेयर मार्केट निर्धारित करता है विश्व समुदाय में हमारी मजबूती को । ट्राम्बे उप नगर में स्थित भारत का परमाणु शक्ति अनुसंधान केंद्र प्रदान करता है भारत को आण्विक समृद्धि का आधार । महज सौ साल की विकास यात्रा के साथ सिनेमा जगत में किवदंती बन जाने वाला यह महानगर मुहैया करवाता है सबसे ज्यादा राजस्व भारतीय आर्थिक परिदृश्य को । समंदर की गोद में अपनी कलात्मक सुन्दरता को अक्शुन्य रखने वाला यह शहर पूरे भारत वर्ष को उसकी एक चौथाई आवश्यकता के अनुरूप पेट्रोलियम और गैस की आपूर्ति भी करता <span class="">है </span>और चौपाटी,जुहू , मध् ,मारावे, मनोरी और बरसाबा तटों पर आने वाले सैलानियों को महसूस कराता है स्वर्ग का सुख। </strong><br /><br /><strong>हमारी व्यापक प्रगति का आधार स्तम्भ है हमारी मुंबई । हमेशा से ही हमारी प्रगतिहमारे पड़ोसियों के लिए ईर्ष्या का विषय रहा है । उन्होंने सोचा क्यों न इनकी आर्थिक स्थिति को कमजोड कर दिया जाए , मगर पूरे विश्व में हमारी ताकत की एक अलग पहचान है , क्योंकि हमारा भारत महान है । </strong><br /><br /><strong>आपको अगले पोस्ट में हम बताएँगे की क्यों गर्व करते हैं हम अपनी मुंबई पर ....तब तक के लिए शुभ विदा !<br /></strong>malahttp://www.blogger.com/profile/09493715792470271562noreply@blogger.com5