आईये पटना के बाद चलते हैं एक ऐसे शहर में , जो एक लाख वर्ष ईसा पूर्व आदि पाषाण काल से आधुनिक काल तक के अनेक पुरातात्विक अवशेष को अपने भीतर समेटे हुए साक्षी है संस्कृति विकास के विभिन्न चरणों का , गवाह है भगवान विरसा मुंडा के क्रांतिकारी पुरुषार्थ का । यह वही भूमि है , जहाँ टैगोर हिल पर बैठकर विश्व कवि रविन्द्र नाथ टैगोर ने गाये प्रकृति के गीत और इसी भूमि पर जन्में अलबर्ट एक्का ने अपने प्राणों की आहूति देकर पाकिस्तान को भारतीय सैन्य शक्ति का एहसास कराया , जिसके नाम पर यहाँ के महत्वपूर्ण चौक का नामाकरण हुआ , जो उपरोक्त चित्र में दृष्टिगोचर है ।
इसी पवित्र भूमि पर बैठकर जमशेद जी टाटा ने टाटानगर की परिकल्पना करते हुए दिया था भारत की आर्थिक समृद्धि को एक नया आयाम ।
राँची भारत का एक प्रमुख शहर है और यह झारखंड प्रदेश की राजधानी है। पहले जब यह बिहार राज्य का हिस्सा था तब गरमियों में अपने अपेक्षाकत ठंडे मौसम के कारण प्रदेश की राजधानी हुआ करती थी। झारखंड आंदोलन के दौरान राँची इसका केन्द्र हुआ करता था। राँची एक प्रमुख औद्योगिक केन्द्र भी है। जहाँ मुख्य रुप से एच ई सी (हेवी इंजिनियरिंग कारपोरेशन), स्टील अथारटी आफ इंडिया, मेकन इत्यादि के कारखाने हैं ।
यह सदैव जम्मू की तरह ही अपनी भौगोलिक सुन्दरता से लुहाता रहा है । प्राकृतिक सुन्दरता का अनुपम उपहार हूंडरू का जल प्रपात भी यहीं है, जिसकी तस्वीर ऊपर में आप देख सकते हैं । मुझे तो यहाँ स्वर्ग का आभास होता है । यह शहर हमारी भौगोलिक सुन्दरता और भूगर्भिक समृद्धि का जीवंत प्रमाण है , यहाँ एक बार आईये आप ख़ुद कहेंगे - मेरा भारत महान है ....!