Tuesday, January 6, 2009

उच्च विकसित कुलीन संस्कृति के लिए विख्यात है लखनऊ

लखनऊ १५२८ में भारत के पहले मुग़ल शासक बाबर द्वारा कब्जा किए जाने के बाद से महत्वपूर्ण हुआ । उनके पोते अकबर के शासन काल में यह शहर अवध प्रांत का हिस्सा बना । १७७५ में अवध के नवाब बने आसफुदौल्ला ने अपनी राजधानी को फैजाबाद से स्थानांतरित कर लखनऊ ले आए । जब १८५७ में भारतीय विद्रोह शुरू हुआ तो तत्कालीन ब्रिटिश कमिश्नर सर हेनरी लौरेंस और लखनऊ में रहने वाले यूरोपीय लोगों की ब्रिटिश तूकादियों द्वारा छुडाये जाने के पहले कई महीनों तक घेरेबंदी में कैद रहना पडा । उस समय अंग्रेजों ने शहर छोड़ दिया , लेकिन अगले ही साल भारत पर फ़िर से नियंत्रण पाकर वापस लौट आए । लखनऊ अपनी उच्च विकसित कुलीन संस्कृति के लिए विख्यात है, जो यहाँ के आम-आदमी में रच-बस गयी है , तमीज-तहजीब और नफासत इसकी पहचान है ।

लखनऊ में वास्तुशिल्प के उत्कृष्ट उदाहरण है - बड़ा इमामवाड़ा , जो एक मंजिला इमारत है , जहाँ मुहर्रम के महीने के दौरान शिया मुसलमान इकठ्ठा होते हैं। रूमी दरबाजा तुर्की दरबाजा इन्स्ताम्बुल के बाब-ऐ-हुमायूं की तर्ज़ पर बनाया गया है और सर्वाधित संरक्षित स्मारक रेजीडेंसी , जो १८५७ में विद्रोह के दौरान ब्रिटिश टुकडियों की आत्म रक्षा का स्थल था । १८५७ में यहाँ विद्रोह के दौरान शहीद हुए भारतीयों की स्मृति में एक स्मारक बनाया गया ।

यहीं पर हुआ था १९१६ का ऐतिहासिक लखनऊ समझौता , बाल गंगाधर तिलक और मुहम्मद अली जिन्ना के बीच । कुल मिलाकर लखनऊ हमारी तहजीव की एक अलग पहचान है और यहाँ जो भी एक बार आ जाता ,मेहमाननवाजी देखकर कह उठता कि सचमुच मेरा भारत महान है ।

5 comments:

गीतेश said...

लखनऊ पर आपका प्रस्तुतीकरण आकर्षक है , बधाईयाँ !

RAJIV MAHESHWARI said...

फोटो देख कर पुरानी यादे तजा हो गई ....... लखनऊ के बाजारों के बारे में भी बताये गा. इंतजार रहेगा .............

Varun Kumar Jaiswal said...

लखनऊ न सिर्फ़ ऐतिहासिक बल्कि बड़ा ही सांस्कृतिक शहर भी है |
प्रस्तुति ने मन को मोह लिया ,धन्यवाद ||

दिगम्बर नासवा said...

अदबी संस्कृति की नगरी लखनऊ का अच्छा वर्णन किया है
पहले आप....पहले आप.....जैसे जुमले से मशहूर ये शहर फोटो में सुंदर दिखता है

रवीन्द्र प्रभात said...

लखनऊ पर आपका प्रस्तुतीकरण सुंदर है!