मुंबई एक ऐसा अंतरार्ष्ट्रीय नगर है , जहाँ ग्लैमर की चकाचौंध के बावजूद सादा जीवन उच्च विचार की प्रमुखता है । कहा जाता है कि बौम बेम जो पोर्चुगीज भाषा में अच्छी खाडी को कहा जाता है । पुर्तगालियों के द्वारा सन १५३४ में इस शहर पर कब्जा किया गया और नाम दिया गया बॉम्बे । कालांतर में इसका नाम मुंबई पडा । मराठी भाषा में " मुम्बा आयी " का अर्थ होता है मुम्बा देवी अर्थात मुम्बा देवी के प्राचीन मन्दिर से जुड़े होने के कारण मराठी संस्कृति ने इसका नाम दिया मुंबई।
मुंबई का विकास १८ वीं सदी में शुरू हुआ । सात द्वीपों के वीच समुद्र पाटकर जमीन बनाने यानी रिक्लेमेशन का काम तब शुरू हुआ , वह आज भी जारी है । मुंबई का विस्तार होता रहा और धीरे-धीरे यह भारत का सबसे प्रमुख औद्योगिक व्यापारिक नगर हो गया । तेज़ रफ़्तार जिंदगी और चौबीसों घंटे हलचल तथा काम-काज वाला यह भारत का आधुनिकतम नगर करीब २० लाख से ज्यादा जन संख्या के साथ अंतरार्ष्ट्रीय नगर के रूप में शुमार होता है , जबकि कहा जाता है कि एक समय था अर्थात १६६८ में जब मुंबई को ब्रिटिश सरकार ने १० पौंड यानी करीब ५०० रुपये सालाना किराए पर ईस्ट इंडिया कंपनी को सौंपा था तो उस समय ईस्ट इंडिया कंपनी इसे लेने को तैयार नही हुयी थी । इसी से इस बात का एहसास होता है कि मुंबई कर यानी मुंबई वालों के भीतर विकास के चरम पर पहुँचने का माद्दा ही नही अपितु योग्यता के साथ-साथ पुरुषार्थ भी भी है, जिसका जिवंत गवाह है विश्व का यह अत्यन्त आधुनिकतम नगर मुंबई । अर्थात मुंबई विश्व की धरोहर है , एक अलग पहचान है ....क्योंकि मेरा भारत महान है !
मुंबई पर अभी जारी है कुछ और महत्वपूर्ण पहलू , जिसे लेकर हम आयेंगे अगले पोस्ट में ।
13 comments:
बहुत सुन्दर ब्लॉग! और विषय भी अच्छा है पोस्टों का। आगे भी सतत लिखें आप।
वर्डवेरीफिकेशन हटा दें टिप्पणी के लिये तो बहुत सुन्दर हो। और मुझ जैसे उम्र वाले के लिये फॉण्ट साइज कुछ बड़ा हो तो सहूलियत हो।
हिन्दी चिटठा जगत में आपका स्वागत है | मुंबई के बारे में अच्छी जानकारी दी है | आभार
कृपया वर्ड वेरिफिकेशन हटा ले ताकि टिप्पणी कर्ताओं को टिप्पणी करने में आसानी रहे |
ज्ञानजी और रतनजी के विचार से सहमत।
फ़ॉंट साईज़ कृपया बढाईए, और वर्ड वेरिफ़िकेशन का झंझट हटाईए।
ब्लॉग जगत में आपका हार्दिक स्वागत है।
मुम्बई मेरा जन्मस्थान है ।
मुम्बई छोड़कर ४० साल हो गये हैं लेकिन इस शहर से अब भी लगाव है।
मुम्बई के बारे में पढ़ने में अच्छा लगता है।
लिखते रहिए।
जी. विश्वनाथ, जे पी नगर, बेंगळूरु
बहुत सुन्दर ब्लॉग,प्रस्तुतीकरण भी अच्छा ! स्वागत है ब्लॉग जगत में !
साथी ब्लॉगरों की बात मानकर आपने इतनी जल्दी वर्ड वेरिफिकेशन हटा दिया, देखकर खुशी हुई......यानि आप ब्लॉगरों के प्रारंभिक अनूकूलन टेस्ट में पास हो गईं हैं :)
स्वागत है ब्लॉग जगत में।
मुंबई के बारे में अच्छी जानकारी दी है | आभार
आपका चिट्ठा अच्छा लगा. दो तीन सुझाव:
1. कम से कम 3 से 5 आलेख हफ्ते में लिखें.
2. यह काली पृष्ठभूमि आपको अच्छी लगी होगी, लेकिन अधिकतर पठनीय चिट्ठों में हल्के रंग एवं काले रंग की लिपि का प्रयोग किया जाता है.
3. इसके पहले के आलेख में हिन्दुस्तान को जो नक्शा दिखाया गया है वह गलत है. उसे विदेशियों ने बनाया है एवं काश्मीर के कुछ इलाके को अलग रंग में दिया है -- मतलब वह हमारा नहीं है.
इसके बदले एक सही नक्शा कहीं से जुडाये.
लिखती रहें!!
-- शास्त्री
हिन्दी ही हिन्दुस्तान को एक सूत्र में पिरो सकती है
हिन्दी चिट्ठाजगत में स्वागत है।
स्वागत है ,आपने अच्छा लिखा है .भविष्य में भी ऐसे ही उत्तरदायित्व भरे लेकहं की अपेक्षा रहेगी !
बेहतरीन प्रस्तुति के लिये बधाई स्वीकारें आपका ब्लाग जगत में स्वागत है
हिन्दी चिट्ठाजगत में स्वागत है...
बेहद अध्ययन शील सन्दर्भ सहित प्रस्तुत पोस्ट
के लिए बधाइयाँ
बहुत ही सुन्दर ब्लॉग है...
आपकी सोच बहुत ही पसंद आई मुझे
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