Saturday, December 20, 2008

एक ऐसा शहर जो तय करता है भारत का राजनीतिक भविष्य .....!






जी हाँ ! दिल्ली और उससे जुडा अंतरार्ष्ट्रीय शहर नयी दिल्ली हीं वह शहर है जो हमेशा से ही तय करता रहा है , भारत का राजनीतिक भविष्य । देता रहा है प्राण वायु भारतीय स्नायु तंत्र को और करता रहा है सतत सेतु का निर्माण विभिन्न भाषाओं , संस्कृतियों और विचारों के बीच । जिसकी गोद में सोते रहे हैं अनेक देश भक्त और संत, जहां हजारों कवि और शायर के विचरण मात्र से स्पंदित होता रहा है भारतीय परिदृश्य , जिसके आस - पास जन्मी हिन्दी और पनपी भी , जहां हुआ है उर्दू का जन्म , जिसकी गलियों में चंदवरदाई , खुसरो और रहीम के स्वर गूंजे थे, जहां पर मीर , गालिब और जोक की कविता लहराई थी । दिल्ली भारत का वह ऐतिहासिक नगर है जिसके माध्यम से न केवल सारे देश की वल्कि सारी दुनिया की कहानी कही जा सकती है, क्योंकि तेजी से सुपर पावर की ओर अग्रसर एक ऐसे राष्ट्र की यह राजधानी है जिसपर अनवरत टिकी होती है सम्पूर्ण विश्व की दृष्टि ।

दिल्ली एक ऐसा अन्तराष्ट्रीय नगर है जो पिछले हजार सालों से भारत का दिल बना हुआ है। हर बादशाह, हर राजा की ख्वाहिश रही है कि वह दिल्ली का शासक बने । चाहे वह महा भारत के पांडव रहे हों अथवा गुप्त सम्राट चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य । चाहे तोमर राजा अनंग पाल रहे हों अथवा इतिहास पुरुष पृथ्वी राज चौहान, चाहे मुग़ल बादशाह रहे हों अथवा अंग्रेज । दिल्ली संत - महात्माओं की जहां तपो भूमि रही है वहीं अनेक सूफी संतों के अमर उपदेश की साक्षी भी । दिल्ली शासन का केंद्र विन्दु रही है वहीं अनेक अन्तराष्ट्रीय समझौतों का जिवंत गवाह भी । यहाँ पर प्रसिद्द गांधी - इरविन समझौता हुआ , यहीं पर गांधी जी ने अपने कई उपवास किये , यहीं पर हत्यारों की गोली खाकर कई वीर सपूतों ने स्वाधीनता की वलि -वेदी परअपने प्राणों का अर्घ्य चढाया , यहीं पर क्रांतिकारियों ने स्वतंत्रता रूपी कल्प वृक्ष का पौधा लगाया और यहीं पर गांधीवादियों ने उसे सिंचितकर विकसित किया और अनेक मुकामों को तय करते हुए दिया भारतीय जनतंत्र को स्वतंत्रता का अमूल्य उपहार ।

हमारी यह दिल्ली हमेशा से हीं भारतीय गणराज्य में संस्कृति और संस्कार का संचार करती रही है और देती रही है पूरे विश्व में एक मुकम्मल पहचान .......क्यों ? है न मेरा भारत महान ......! आज वस् इतना हीं, मिलती हूँ अगले पोस्ट में , तब तक के लिए शुभ विदा !

6 comments:

गीतेश said...

किसी ने सच ही कहा है दिल्ली दिल वालों का शहर है , आपने ऐसा प्रस्तुत किया कि महसूस हो रहा है हमारी दिल्ली पूरी दुनिया में एक अलग पहचान रखती है . आपकी भाषा शैली अत्यन्त सुंदर है , इश्वर करे किसी की नजर न लगे . अब समझ में आया कि आप अपने ब्लॉग का रंग आपने काला क्यों रखा है , ऐसे ही ज्ञान वर्धन करते रहें .....आपका बहुत-बहुत आभार !

रवीन्द्र प्रभात said...

अद्भुत और असाधारण प्रस्तुति ...!

Varun Kumar Jaiswal said...

दिल्ली पर आपकी चर्चा सार्थक रही |
ऐसे ही सिलसिला बनाये रखें |
धन्यवाद |

Udan Tashtari said...

सही है-दिल वालों की दिल्ली ने ही मेरा भारत महान बना दिया है जी...अच्छी प्रस्तुति.

उन्मुक्त said...

सरकार सब कुछ दिल्ली या उसके इर्द गिर्द ही रख रही है जिससे वहां की आबादी बढ़ती जा रही है। बहुत जल्द ही दिल्ली इतने लोगों का भार उठाने में असमर्थ रहेगी।

रंजीत/ Ranjit said...

dilee tamanna hi ki itihas kee dillee is Delhi me bhee dikhe. apkee lekhnee ke sath shahar-dar-shahar ghumna apne ghar me rakhee chizon ko dundhne jaisa hi.