Thursday, December 4, 2008

यह वही मुंबई है, जहाँ " करो या मरो " का प्रस्ताव आया ...!

जी हाँ यह वही मुंबई है, जहां के अगस्त क्रान्ति मैदान में सन १९४२ में अँगरेजी शासन के खिलाफ " करो या मरो " का प्रस्ताव आया। जब कौंग्रेस ने इसे पारित किया था तो अगस्त -१९४७ में अंग्रेजों को भगाने के बाद ही चैन की सांस ली थी । अर्थात- मुंबई की कर्मठता हीं इसकी महानता का द्योतक है ।



मुंबई के लोग -

सीधे-सादे नाम रखने में माहिर होते हैं। जैसे अलाउद्दीन खिलजी से हारने के बाद इस इलाके का राजा भीम देव यहाँ आया । उसने महिमावती नगरी बसाई , जो आज भी मुंबई का हिस्सा है और माहिम के नाम से जाना जाता है । वह प्रभावती देवी का उपासक था । उसने जहां देवी का मंदिर बनबाया वह आज भी प्रभा देवी के नाम से जाना जाता है । जहां उसका न्यायालय था वह नायगांव (न्याय गाँव) बन गया । इसी प्रकार इमली यानी "चिंच" की बहुतायत वाला इलाका चिन्चबन्दर हो गया तो ताड़ के पंडों वाला इलाका ताड़देव बन गया । बरगद के पेंड वाला इलाका बर्ली हो गया। मछुओं का गाँव यानी मतस्य गाँव मझगांव के नाम से जाना जाने लगा ।

इनके बारे में चीनी यात्री ह्वेनसांग ने कहा है, कि -

"ये लोग सरल स्वभाव और सत्यनिष्ठ हैं । अत्यन्त स्वाभिमानी और गंभीर प्रकृति के हैं । सद् व्यवहार का आभार मानते हैं परन्तु हानि पहुंचाने वाले से बदला लेना तथा अपने अपमान का कलंक धोना ये अपना कर्त्तव्य समझते हैं। इनमें कष्ट सहने की अद्भुत क्षमता है। ये परोपकार की भावना से पीडितों की नि:स्वार्थ सेवा करने को हमेशा तैयार रहते हैं । ज्ञान साहित्य और अध्ययन के रसिया हैं । "

मुंबई के बारे में बस >इतना हीं अगले पोस्ट में हम चलेंगे भारत के ह्रदय प्रदेश मध्य प्रदेश की हृदय स्थली भोपाल और जानेंगे की कैसे है यह शहर हमारी भारतीय संस्कृति की पहचान .....और इन्ही सब माध्यमों से बना है मेरा भारत महान ....!

25 comments:

makrand said...

i feel it is good to read about the people of differnt cities
keep on writing
regards

महुवा said...

माला,अच्छा लगा आपका ब्लॉग देखकर भी और पढ़कर भी...लेकिन अगर आप अपना बैकड्रॉप काले की जगह किसी और कलर का रखेंगीं तो पढ़ने में ज्यादा सुविधा होगी....आपका नाम बहुत सुंदर है,मुझे बहुत अच्छा लगता है.....
और हां लिखती रहें...

रवीन्द्र प्रभात said...

बहुत अच्छा लगता है आपका पोस्ट पढ़कर, पूरी संवेदनशीलता के साथ आप अपनी बात रखते हैं !

Unknown said...

काफी शोधपरक लेख है। इस तरह की तमाम घटनाओं के बाद यही बात सामने आती है कि हिन्दुस्तान एक है, इसकी आत्मा एक है।

Unknown said...

Tanu sahi keh rehi hain, blog ka back ground change kar dein. padhne mein aasani rehegi

Varun Kumar Jaiswal said...

वाह माला ब्लॉग जगत की दुनिया मे इतनी बढ़िया शुरुआत के लिए बधाई |

BrijmohanShrivastava said...

सौभाग्य मेरा कि एक ब्लॉग पर कमेन्ट देख कर यहाँ आया ,ह्रदय प्रसन्नता से भर गया जब ये पढा कि कि आप सभी धर्म जातियों के सकारात्मक विचार वाली एक आम हिन्दुस्तानी हैं और आपको भारतीयता पर स्वाभिमान है लोकेशन भलेही इंडिया लिखा है लेकिन लगता है मध्य प्रदेश से ज़्यादा लगाव है /ह्वेनसांग से यह शब्द केवल मुंबई बासियों के वारे में कहे हों ऐसा मेरे पढने में नहीं आया /""ये लोग सरल .........अध्ययन के रसिया हैं ""यह न तो किसी प्रदेश के वारे में कहा जा सकता है और न ही किसी व्यक्ति विशेष के वारे में {{यदि उन्होंने यह शब्द मुझे संबोधित करके कहे हों तो मुझे ध्यान नहीं है क्योंकि उस वक्त में उनके साथ था नहीं }}मुझे शीघ्रता से इंतज़ार है नई पोस्ट का जो मध्यप्रदेश के वारे में आपके ब्लॉग पर आने वाली है

रंजीत/ Ranjit said...

padha, sochaa aur sochte rah gaya... subhkaamnayen

विजय गौड़ said...

blog jagat me aapka bahut bahut swagat.

रचना गौड़ ’भारती’ said...

आपने बहुत अच्छा लिखा है ।
भावों की अभिव्यक्ति मन को सुकुन पहुंचाती है।
लिखते रहि‌ए लिखने वालों की मंज़िल यही है ।
कविता,गज़ल और शेर के लि‌ए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।
मेरे द्वारा संपादित पत्रिका देखें
www.zindagilive08.blogspot.com
आर्ट के लि‌ए देखें
www.chitrasansar.blogspot.com

श्यामल सुमन said...

कुछ नयी जानकारी मिली। सुन्दर आलेख।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com

bijnior district said...

नई एवं लाभकर जानकारी। बधाई।

पुरुषोत्तम कुमार said...

मुंबई पर आलेख काफी अच्छा है। भोपाल पर आपकी पोस्ट का इंतजार।

पुरुषोत्तम कुमार said...

मुंबई पर आलेख काफी अच्छा है। भोपाल पर आपकी पोस्ट का इंतजार।

प्रवीण त्रिवेदी said...

हिन्दी ब्लॉगजगत के स्नेही परिवार में ब्लॉग का हार्दिक स्वागत करता है. इच्छा है कि आपका यह ब्लॉग सफलता की नई ऊँचाइ को छुए,प्रेरणादायी और लोकप्रिय बने.

शुभकामनाएं !!!!

प्रवीण त्रिवेदी / PRAVEEN TRIVEDI
प्राइमरी का मास्टर

Yamini Gaur said...

it's nice well done......

www.chitrasansar.blogspot.com

दिगम्बर नासवा said...

मुंबई की जानकारी अच्छी लगी
इतनी महान है हमारी नगरी

kumar Dheeraj said...

मुम्बई की महिमा का जो बखान आपने किया है वह सच है । वाकई मुम्बई भारतीय इतिहास के पन्ने में अपना स्थान रखती है । मुम्बई वीरता का परिचय हमेशा दिया है । मेरे ब्लांग पर भी आए

Unknown said...

हिन्दी चिठ्ठा विश्व में आपका हार्दिक स्वागत है, खूब लिखें… शुभकामनायें…

संतोष कुमार सिंह said...

आप की राय अपेक्षित हैं,------ दिलों में लावा तो था लेकिन अल्फाज नहीं मिल रहे थे । सीनों मे सदमें तो थे मगर आवाजें जैसे खो गई थी। दिमागों में तेजाब भी उमङा लेकिन खबङों के नक्कारखाने में सूखकर रह गया । कुछ रोशन दिमाग लोग मोमबत्तियों लेकर निकले पर उनकी रोशनी भी शहरों के महंगे इलाकों से आगे कहां जा पाई । मुंबई की घटना के बाद आतंकवाद को लेकर पहली बार देश के अभिजात्य वर्गों की और से इतनी सशंक्त प्रतिक्रियाये सामने आयी हैं।नेताओं पर चौतरफा हमला हो रहा हैं। और अक्सर हाजिर जवाबी भारतीय नेता चुप्पी साधे हुए हैं।कहने वाले तो यहां तक कह रहे हैं कि आजादी के बाद पहली बार नेताओं के चरित्र पर इस तरह से सवाल खङे हुए हैं।इस सवाल को लेकर मैंने भी एक अभियाण चलाया हैं। उसकी सफलता आप सबों के सहयोग पर निर्भर हैं।यह सवाल देश के तमाम वर्गो से हैं। खेल की दुनिया में सचिन,सौरभ,कुबंले ,कपिल,और अभिनव बिद्रा जैसे हस्ति पैदा हो रहे हैं । अंतरिक्ष की दुनिया में कल्पना चावला पैदा हो रही हैं,।व्यवसाय के क्षेत्र में मित्तल,अंबानी और टाटा जैसी हस्ती पैदा हुए हैं,आई टी के क्षेत्र में नरायण मुर्ति और प्रेम जी को कौन नही जानता हैं।साहित्य की बात करे तो विक्रम सेठ ,अरुणधति राय्,सलमान रुसदी जैसे विभूति परचम लहराय रहे हैं। कला के क्षेत्र में एम0एफ0हुसैन और संगीत की दुनिया में पंडित रविशंकर को किसी पहचान की जरुरत नही हैं।अर्थशास्त्र की दुनिया में अमर्त सेन ,पेप्सी के चीफ इंदिरा नियू और सी0टी0 बैक के चीफ विक्रम पंडित जैसे लाखो नाम हैं जिन पर भारता मां गर्व करती हैं। लेकिन भारत मां की कोख गांधी,नेहरु,पटेल,शास्त्री और बराक ओमावा जैसी राजनैतिक हस्ति को पैदा करने से क्यों मुख मोङ ली हैं।मेरा सवाल आप सबों से यही हैं कि ऐसी कौन सी परिस्थति बदली जो भारतीय लोकतंत्र में ऐसे राजनेताओं की जन्म से पहले ही भूर्ण हत्या होने लगी।क्या हम सब राजनीत को जाति, धर्म और मजहब से उपर उठते देखना चाहते हैं।सवाल के साथ साथ आपको जवाब भी मिल गया होगा। दिल पर हाथ रख कर जरा सोचिए की आप जिन नेताओं के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं उनका जन्म ही जाति धर्म और मजहब के कोख से हुआ हैं और उसको हमलोगो ने नेता बनाया हैं।ऐसे में इस आक्रोश का कोई मतलव हैं क्या। रगों में दौङने फिरने के हम नही कायल । ,जब आंख ही से न टपके तो फिर लहू क्या हैं। ई0टी0भी0पटना

naresh singh said...

अच्छा लेख है । तनु जी की तरह मै भी यही कहूगां कि बैकग्राउन्ड कलर बदल ले । इस बारे मे आप इ गुरू राजीव जी की मदद ले सकती है

adil farsi said...

swagat ha mala ji...good work

vijay kumar sappatti said...

aap bahut accha likhti hai , aur is lekh mein deshwashiyon ko jagane ka jo karya kiya hai , wo atulniya hai


badhai

vijay
http://poemsofvijay.blogspot.com/

Manoj Kumar Soni said...

इतना काला रंग क्यु रखा है ?
कृपया मेरा भी ब्लाग देखे और टिप्पणी दे
http://www.ucohindi.co.nr

Anonymous said...

रसात्मक और सुंदर अभिव्यक्ति